रमा भिमाची नवरी झाली ग

Rajan garud
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 महापरिनिर्वाण दिन  निबंध l  भाषण हिंदी l  Mahaparinirvan Hindi Essay



इस साल महापरिनिर्वाण दिन शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019 को मनाया जाएगा| इस दिन चैत्यभूमी पर विशेष व्यवस्था की जाती है, यह डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की समाधि का स्थान है, यहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था| दिसंबर के पहले सप्ताह से पूरे भारत के कोने कोने से लाखो लोग बाबासाहेब का दर्शन लेने और आदरांजली देने के लिए चैत्यभूमी पहुंच जाते हैं| यह स्थान दादर, मुंबई में समुद्र तट पर स्थित है|

हम अंदाजा लगा सकते हैं कि इस साल भी लाखों लोग बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए मुंबई आएंगे। हम यह भी अनुमान लगाते हैं कि स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, भाषण प्रतियोगिताओं जैसे विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। आपने शायद ऐसे ही किसी निबंध या भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया है, यही कारण है कि आप इस ब्लॉग पर हैं। हमने आपको यहां महापरिनिर्वाण दिन / दिवस के विषय पर एक नमूना निबंध, भाषण और कुछ जानकारी दी है। आप इस जानकारी को पढ़ सकते हैं और समग्र संदर्भ बना सकते हैं,और फिर उसके ऊपर अपना खुद का निबंध या भाषण लिख सकते हैं| 


डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ और उसी दिन को महापरिनिर्वाण दिवस या डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। भारत में अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए उनके आजीवन प्रयासों को गौरवान्वित करने के लिए और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पूरे भारत मैं से लाखों लोग हर साल चैत्यभूमि आते हैं।

भारतीय संविधान के जनक बाबासाहेब अम्बेडकर ने जीवन भर दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। इन प्रयासों के माध्यम से भारत में दलितों को आरक्षण और सामाजिक समानता मिली। बाबासाहेब को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में दलितों का मसीहा माना जाता है।

महापरिनिर्वाण क्या है?

बौद्ध धर्म के अनुसार, महापरिनिर्वाण जीवन का मुख्य लक्ष्य और मूल तत्व है। संस्कृत में महापरिनिर्वाण को “परिनिबाना” लिखा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “मोक्ष”। बौद्ध धर्म के अनुसार, “कर्म” का अर्थ है “कृती”, हम अपने जीवन भर अपने कर्म को संचित करते हैं और यह आत्मा के माध्यम से यह अगले जीवन तक पहुंचता है। जब कोई व्यक्ति मर जाता है और उसका शरीर विघटित हो जाता है, तब भी आत्मा अपनी यात्रा जारी रखती है। किसी की मृत्यु के समय उनका कर्म ऋण अगर जमा नहीं है तो वह जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाता है, मतलब उनको मोक्ष मिल जाता है; या फिर उनका महापरिनिर्वाण हो जाता है|

बौद्ध पवित्र ग्रंथ महापरिनिर्वाण सूत्र के अनुसार, भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण के रूप में जाना जाता है। बाबासाहेब अम्बेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में हुआ था। 14 अक्टूबर, 1956 को, 5,00,000 समर्थकों के साथ बाबासाहेब ने बौद्ध धर्म अपनाया था। मुंबई के दादर चौपाटी पर बौद्ध संस्कार के अनुसार उनके अवशेषों का अंतिम संस्कार किया गया। उस स्थान को अब चैत्यभूमि कहा जाता है।

भारत के बौद्ध समुदाय के लोग बाबासाहब को बौद्ध गुरु मानते हैं। बौद्धों का मानना ​​है कि बाबासाहेब द्वारा किए गए कार्यों के कारण वे इस जीवन के कर्मों से मुक्त हो गए हैं, वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए हैं| अर्थात उन्होंने मोक्ष प्राप्त कर लिया है, अर्थात उनका महावीरिनिर्वाण हुआ है|




महापरिनिर्वाण दिन भाषण हिंदी

आज ६ दिसंबर २०१९ है, आज डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का ६३वाँ महापरिनिर्वाण दिन है। बाबासाहेब ऐसे व्यक्तित्व थे कि उनके जैसा कोई हुआ नहीं था, ना आगे कोई होगा। उनके कार्य और बलिदानों के कारण, वे हमारे श्रद्धास्थान है; वे आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। बाबासाहेब आंबेडकर का काम और नाम निरंतर गूंजता रहेगा|

बाबासाहेब ने अपने जीवन की शुरुआत में कड़ी मेहनत की, कई अन्याय सहे। उन्होंने कई संकटों का सामना किया। उन्होंने दलित समुदाय के लिए हितकारिणी सभा शुरू की, क्योंकि वह हमारे समाज को नींद से जगाना चाहते थे।

अगर आप आज की युवा पीढ़ी से पूछें कि आपका आदर्श कौन है, कोई बॉलीवुड अभिनेता का नाम लेगा तो कोई किसी क्रिकेटर का. अगर नई पीढ़ी अंबेडकरजी की जीवनी नहीं जानती है, तो वे उनका आदर्श कैसे बनेंगे? अगर हम अपने जीवन में बाबासाहेब की शिक्षाओं पालन करते हैं, तो हमारा जीवन खुशहाल हो जाएगा। उनकी कड़ी मेहनत और उनके समर्पण से सीखने जैसा बहुत कुछ है, किसी सेलिब्रिटी या खिलाड़ी से निश्चित रूप से ज्यादा| आप का क्या मत है? क्या में सही हूँ?

हम आज बाबा साहेब के ६३ वें महापरिनिर्वाण दिन का जश्न मनाने के लिए यहाँ हैं। आज हम एक प्रतिज्ञा लेंगे कि बाबासाहेब के नाम की सिर्फ घोषणा करने के बजाय हम उनकी जीवनी पढ़ेंगे, उनके काम का अध्ययन करेंगे और उनसे सीखने का प्रयास करेंगे। बाबासाहेब ने हमारे लिए अपना जीवन खपा दिया और उनके लिए हम इतना भी नहीं कर सकते?

मुझे उम्मीद है कि आज से, हम सभी बाबासाहब द्वारा दिखाए गए मार्ग का पालन करने की कोशिश करेंगे। बाबासाहबजी जैसे निरंतर दिए ने हमें सहीं जीवन पथ दिखाया है, हमें बस इसपे चलना है| तो चलें हमारे समुदाय को, अपने देश को महान बनाएं। मुझे ऐसा लगता है कि बाबासाहेब हमें विकसित होते हुए देखना चाहते थे| हम सैकड़ों वर्षों से पिछड़े हुए हैं, हमारे साथ अन्याय हुआ है लेकिन बाबासाहेब ने हमें समान अधिकार दिए हैं। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम आगे बढ़ें और बाबासाहेब के सपने को पूरा करें।

मैं ऐसे महान व्यक्ति को नमन करता हूं और आज का भाषण समाप्त करता हूं| मैं आशा करता हूं कि उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर रहेगा। जय भीम, जय भारत 


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